kunwar sa

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लेखनी कहानी -29-Feb-2024

बचपन में आरजू होती है जवानी की मजे लेंगे बड़े होकर, जिंदगी जिएंगे मनमानी की

बचपन कितना मासूम होता है

क्या क्या सोच लेता है जवानी कमर तोड़ देती है जब उम्मीदों और जिम्मेदारियों का बोझ पड़ता है

ना किसी से प्यार ना किसी को खुशी होती है जब लड़का बड़ा होता है तो खुशियों की बस आहट सी होती है

एक उमर के बाद बस चुप और सब से दूर रहने को दिल करता है जब कोई अपना न समझे तो पल पल टूट कर दिल चूर होता रहता है

एक पल किसी की एक पल किसी की जिंदगी औरो का अहसान होती है बचपन अच्छा होता है जनाब , जितना बताते है जवानी कहां उतनी आसान होती है

कुंवर सा...

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4 Comments

Varsha_Upadhyay

02-Mar-2024 07:38 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

02-Mar-2024 11:46 AM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

01-Mar-2024 11:23 PM

बेहतरीन

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